The resentment of Jat community may weigh heavily on BJP

भाजपा पर भारी पड़ सकती है जाट समाज की नाराजगी, भाजपा राज्य में जाट समुदाय के दबे गुस्से का कर रही सामना

The resentment of Jat community may weigh heavily on BJP

The resentment of Jat community may weigh heavily on BJP

The resentment of Jat community may weigh heavily on BJP- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच कड़ी चुनावी टक्कर देखने को मिल रही है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और जननायक जनता पार्टी (जजपा) जैसे छोटे खिलाड़ी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए हर मौके का फायदा उठा रहे हैं। सत्तारूढ़ भाजपा सत्ता विरोधी लहर के चलते न केवल एक कठिन लड़ाई में जुटी है वहीं कांग्रेस को चुनावों में फेवरेट माना जा रहा है। भाजपा राज्य में जाट समुदाय के दबे हुए गुस्से का भी सामना कर रही है।

जाट समुदाय कई कारणों से भाजपा से नाराज़ है। भारतीय सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना, किसानों का विरोध और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के विरोध को खराब तरीके से संभालना भगवां पार्टी के लिये भारी पड़ रहा है। जाट भाजपा से इसलिए भी नाराज़ हैं क्योंकि भगवा पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर की जगह किसी जाट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया।

हरियाणा में जाटों की आबादी राज्य की आबादी का लगभग 22 से 27 प्रतिशत है। हरियाणा में 37 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें जाट समुदाय उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करता है। इनमें से 22 सीटें जाटलैंड में, 8 बागड़ी में, 4 जीटी रोड बेल्ट में और 3 ब्रज इलाके में शामिल हैं। जाट प्रभुत्व वाली कुल 37 सीटों में से 30 रोहतक और हिसार प्रशासनिक संभाग में स्थित हैं। जाटों के अपने खिलाफ गुस्से के कारण, भाजपा ने इस साल अधिक गैर-जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का जोखिम लिया है। वर्ष 2024 में, भाजपा द्वारा मैदान में उतारे जाने वाले जाट उम्मीदवारों की कुल संख्या 16 है, जो 2019 (19 उम्मीदवार) और 2014 (24 उम्मीदवार) से कम है।

भाजपा ने हरियाणा में अपनी रणनीति ओबीसी मतदाताओं के इर्दगिर्द केंद्रित की है, जो राज्य की मतदाता आबादी का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा है। दूसरी तरफ जाट 22 से 27 प्रतिशत और अनुसूचित जाति (एससी) लगभग 20 प्रतिशत के करीब है। ओबीसी मतदाताओं को लुभाने के लिए, नायब सिंह सैनी सरकार ने ओबीसी क्रीमी लेयर के लिए आय सीमा बढ़ा दी और स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण बढ़ा दिया।

छह माह पहले ओबीसी को बनाया सीएम

भाजपा ने हरियाणा में चुनाव से ठीक 6 महीने पहले पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बदल दिया। ऐसा ही भाजपा ने महाराष्ट्र और झारखंड में किया था। वे भगवा पार्टी की वर्चस्ववादी जाति विरोधी राजनीति का चेहरा थे। पार्टी ने राज्य के प्रभावशाली ओबीसी नेता नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री के रूप में नामित किया, जो जाट समुदाय को समायोजित करने में विफल रहा।

भाजपा की नीतियों से आहत, कांग्रेस की ओर मुड़े मतदाता

वरिष्ठ कांग्रेस नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि हरियाणा में जाट बड़ी संख्या में कांग्रेस का समर्थन करते हैं। राज्य में मुस्लिम मतदाता भी इस पुरानी पार्टी को वोट देंगे। फिलहाल हरियाणा में मतदाता भाजपा की नीतियों से जबरदस्त तरीके से आहत हैं। वे कांग्रेस के पक्ष में खड़े हैं। बड़ी संखया में जाट वास्तव में कांग्रेस का समर्थन करते हैं, लेकिन अन्य दलों में भी जाट हैं। हरियाणा में मुस्लिम मतदाता 5 प्रतिशत हैं जो कांग्रेस को वोट देंगे क्योंकि भाजपा उन्हें मजबूर करती है। उन्होंने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि जाटों और गैर-जाटों के बीच लड़ाई है।